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Showing posts from September, 2022

Gham Mein Hun

मैं ग़म में हूँ  मैं ग़म में हूँ  ग़मों के यम में हूँ मैं मर गया मुझमें ही कहीं  मैं ख़ुद ख़ुदी के मातम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  महकते फूल तरसते रहे  चंद मोतियों के लिए  मैं किसी गंद पे गिरी शबनम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  जो किसी ने दी किसी को महज़ तोड़ने के लिए  मैं किसी के सिर की झूठी क़सम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  ज़िंदगी के रास्ते में  पिछड़ गया मैं ख़ुद से  लेकिन दुनिया के काफ़िले में मुक़द्दिम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  अपनी नज़रों में  बिख़र गया हूँ तिनका तिनका करके  यूँ आईने में देखूँ तो मुसल्लम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  तुम हमदम हो गए  किसी ग़ैर के संग  मैं अभी भी तेरे मेरे वाले हम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  कैसे चल लेते हो  बेवफ़ाई संग अकड़ कर  मैं तो वफ़ा संग भी ख़म में हूँ  मैं ग़म में हूँ  खाने से पहले तुम्हारे लिए  निकाल देता हूँ पहला निवाला  मैं अभी भी उस मुहब्बत के उस नियम में हूँ  मैं ग़म में हूँ  अरे! मत दो मुझे  हंसी की दावत का न्योता...