कैसा है यह धुँआ , कहाँ से आता है यह धुँआ ?
कौन जलाता है इसे, कहाँ ले जाता है यह धुँआ ?
यह धुँआ दिखने में तो सफ़ेद है लेकिन फेफड़े काले कर देता है
साँसों में जलन और जिगर में छाले कर देता है ।
यह धुँआ हवा में मिल के हवा ज़हरीली कर देता है
चुबता है आँखों में और नज़र पथरीली कर देता है ।
यह धुँआ हस्ती-खेलती ज़िंदगियाँ तबाह कर देता है
खुद सुलगता है और दुनिया सवाह कर देता है ।
यह धुँआ अपनों से दूर कहीं अकेले कर देता है
घर सुनसान और शमशानों में मेले कर देता है ।
यह धुँआ वातावरण, पेड़ और फसलें खा जाता है
उजाड़ देता हस्ते-बस्ते परिवार और आने वाली नस्लें खा जाता है ।
यह धुँआ किसी आँगन के चुल्हे में नाचता हुआ धुँआ नहीं है
यह धुँआ किसी भूखे पेट को पालता हुआ धुँआ नहीं है ।
यह धुँआ किसी कागज़ में लिपटे हुए तंबाकू का धुँआ है
यह धुँआ किसी आँख से बहते हुए आँसू का धुँआ है ।
यह धुँआ किसी एक पल की तलबदारी का धुँआ है
यह धुँआ किसी जानलेवा बीमारी का धुँआ है ।
यह धुँआ किसी जवान बेटे की जलती अर्थी का धुँआ है
या अनाथ छोड़ गए किसी बाप की बरसी का धुँआ है ।
यह धुँआ सोग का धुँआ है , यह धुँआ ख़ौफ का धुँआ है
यह धुँआ सिगरेट की आग से निकलती हुई मौत का धुँआ है ।
यह धुँआ सिगरेट की आग से निकलती हुई मौत का धुँआ है ।।
#WORLD NO TOBACCO DAY#
Very nice and meaningfull poem. God Bless you. BAI G
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