कैसा है यह धुँआ , कहाँ से आता है यह धुँआ ? कौन जलाता है इसे, कहाँ ले जाता है यह धुँआ ? यह धुँआ दिखने में तो सफ़ेद है लेकिन फेफड़े काले कर देता है साँसों में जलन और जिगर में छाले कर देता है । यह धुँआ हवा में मिल के हवा ज़हरीली कर देता है चुबता है आँखों में और नज़र पथरीली कर देता है । यह धुँआ हस्ती-खेलती ज़िंदगियाँ तबाह कर देता है खुद सुलगता है और दुनिया सवाह कर देता है । यह धुँआ अपनों से दूर कहीं अकेले कर देता है घर सुनसान और शमशानों में मेले कर देता है । यह धुँआ वातावरण, पेड़ और फसलें खा जाता है उजाड़ देता हस्ते-बस्ते परिवार और आने वाली नस्लें खा जाता है । यह धुँआ किसी आँगन के चुल्हे में नाचता हुआ धुँआ नहीं है यह धुँआ किसी भूखे पेट को पालता हुआ धुँआ नहीं है । यह धुँआ किसी कागज़ में लिपटे हुए तंबाकू का धुँआ है यह धुँआ किसी आँख से बहते हुए आँसू का धुँआ है । यह धुँआ किसी एक पल की तलबदारी का धुँआ है यह धुँआ किसी जानलेवा बीमारी का धुँआ है । यह धुँआ किसी जवान बेटे की जलती अर्थी का धुँआ है या अनाथ छोड़ गए किसी बाप की बरसी का धुँआ है ।
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