देखो सारी बातें ख़त्म होने पर भी , बातें कुछ बाकी हैं , मुझमें मैं कहीं नहीं हूँ , पर तुम्हारी यादें कुछ बाकी हैं , और आज सब बातें भुला कर एक बात कहना चाहता हूँ , बेबसी में हारे इस दिल का हाल कहना चाहता हूँ , कि सवाल नहीं लेकिन मलाल बहुत हैं , बवाल नहीं लेकिन ज़ज़्बात बहुत हैं , जो इस दिल ही दिल में कहीं थमते नहीं । देखो जानता हूँ कि अब वहां खड़ी तुम मिलोगी नहीं लेकिन फिर भी उस मोड़ पर जा के रुक जाता हूँ मैं , यकीन रहा नहीं अब उस भगवान् पर फिर भी उस गुरूद्वारे के आगे झुक जाता हूँ मैं , जानता हूँ कि अब तुम अपने हाथों से खिलाओगी नहीं लेकिन फिर भी घर से भूखा आता हूँ मैं , ना सुनोगी ना ही साथ में गाओगी फिर भी वो "अपना गीत" गुनगुनाता हूँ मैं , और यह सब सुना के दिल दुखाना नहीं चाहता , बस इतना कहना चाहता हूँ मैं , कि सवाल नहीं लेकिन मलाल बहुत हैं , बवाल नहीं लेकिन ज़ज़्बात बहुत हैं , जो इस दिल ही दिल में कहीं थमते नहीं । देखो हो सके तो तवक़्क़ - बेतवक़्क़ कभी मिल ही लेना देखना चाहता हूँ कि कितना खुश-नसीब हूँ मैं , जो दूर हुआ ही ना कभी एक पल भी मुझसे आज भी उसके कितना
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