आज 14 नवम्बर बाल दिव्स पर अपने देश के भविष्य के लिए लिखी हुई एक कविता आप सबके साथ सांझी कर रहा हूँ , उम्मीद है यह कविता आज उदय होने वाले सूरज को एक नई रौशनी देगी। यह रास्ते तुम्हारे हैं , यह मंज़िल तुम्हारी है , कभी रुकना नहीं ...... यह ज़िन्दगी तुम्हारी है, यह दुनिया तुम्हारी है , कभी रुकना नहीं ...... माना कि मिलेंगे तुम्हें रोकने के लिए लाखोँ यहाँ , लेकिन यह खेल तुम्हारा है , यह जीत तुम्हारी है , कभी रुकना नहीं ...... नई सोच तुम हो , नया ज़माना तुम हो , कभी रुकना नहीं ...... ज़ज़्बा तुम हो , ईरादा तुम हो , कभी रुकना नहीं ...... गुज़र गए वो जिनका वो कल था , लेकिन आज तुम हो , आने वाला कल तुम हो , कभी रुकना नहीं ...... छोटी सी उम्र से , छोटी सी नज़र से , देखी यह दुनिया , सही यह दुनिया , लेकिन याद रखना ...... खुदी तुम हो , खुदा तुम हो , कभी किसी के आगे झुकना नहीं। हर सपना तुम्हारा है ,हर ज़रिया तुम हो , कभी रुकना नहीं ...... कभी भी रुकना नहीं ......
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