बहारें भी आयेंगी खिज़ाएँ भी आयेंगी ,
मद्धम हवाएँ भी आयेंगी , तलातुम ख़ेज़ घटाएँ भी आयेंगी ,
बशर ज़ात सा ही है यह मौसम दर-ब-दर टहकता ही रहेगा।
लेकिन यह जो सूखे पत्तों में अकेला चमक रहा है ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
किसी की रहमत का मोहताज नहीं है यह फूल
यह खिलेगा , मुरझायेगा , फिर से खिलेगा ,
मिट्टी से जन्मा है मिट्टी में ही रहेगा लेकिन
इसकी चाहत का पराग हर भँवरे की सांस में मिलेगा ,
सूरज का हम-साया है यह फूल
हर रोज़ वो निकलेगा हर रोज़ यह चहकता ही रहेगा ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
लेकिन ख़ुदी के कांटे ख़ुद को चोभ लेता है
थोड़ा सा बेरहम है यह फूल ,
ख़ुद ख़ुदी से टूट कर ख़ुदी पर रो लेता है
रंगों में लिपटा सहम है यह फूल ,
बगीचे से वीरान बगीचों की हस्ती है
ख़ैर तुम्हारे गमले की क़ैद में भी दहकता ही रहेगा ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।।
मद्धम हवाएँ भी आयेंगी , तलातुम ख़ेज़ घटाएँ भी आयेंगी ,
बशर ज़ात सा ही है यह मौसम दर-ब-दर टहकता ही रहेगा।
लेकिन यह जो सूखे पत्तों में अकेला चमक रहा है ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
किसी की रहमत का मोहताज नहीं है यह फूल
यह खिलेगा , मुरझायेगा , फिर से खिलेगा ,
मिट्टी से जन्मा है मिट्टी में ही रहेगा लेकिन
इसकी चाहत का पराग हर भँवरे की सांस में मिलेगा ,
सूरज का हम-साया है यह फूल
हर रोज़ वो निकलेगा हर रोज़ यह चहकता ही रहेगा ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
लेकिन ख़ुदी के कांटे ख़ुद को चोभ लेता है
थोड़ा सा बेरहम है यह फूल ,
ख़ुद ख़ुदी से टूट कर ख़ुदी पर रो लेता है
रंगों में लिपटा सहम है यह फूल ,
बगीचे से वीरान बगीचों की हस्ती है
ख़ैर तुम्हारे गमले की क़ैद में भी दहकता ही रहेगा ,
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।
यह नरगिस का फूल है हर हाल में महकता ही रहेगा ।।
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Thanks for your valuable time and support. (Arun Badgal)