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BAGAWAT

ना कोई जंग ना किसी से मुकाबला ,
मेरी ख़ुद से बग़ावत मैंने ख़ुदी को हरा दिया ,
ख़ुद ख़ुदी पर किये वार ,
 मैंने ख़ुद को मिटा दिया ,
ख़ुद को उठाया ख़ुदी के कन्धों पर ,
 मैंने जलसा बना दिया ,
ख़ुद ही पढ़ी नमाज़-ए-जनाज़ा ,
 ख़ुद पर कफ़न ओढ़ा दिया ,
ख़ुद ही खोदी ख़ुदी की कबर ,
मैंने ख़ुद को दफ़ना दिया ।
ना कोई जंग ना किसी से मुकाबला ,
मेरी ख़ुद से बग़ावत मैंने ख़ुदी को हरा दिया । ।
( Na koi jung na kisi se muqaabla ,
  Meri khud se bagawat meine khudi ko haraa diya ,
  Khud khudi par kiye vaar ,
  Meine khud ko mitaa diya ,
  Khud ko uthaya khudi ke kandho par ,
  Meine jalsa bna diya ,
  Khud hi pdhi Namaaz-e-Janaza ,
  Khud pa kafan odha diya ,
  Khud hi khodi khudi ki kabar ,
  Mein khud ko dafna diya ..
  Na koi jung na kisi se muqaabla ,
  Meri khud se bagawat meine khudi ko haraa diya .... )

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