देखो जब सारी बातें ख़तम हो गई, तो कहने को कुछ बाकी नहीं है , पर फिर भी एक बात कहना चाहता हूँ तुझसे कि , फुरसत के पलों में कभी मिलना ना मुझसे , क्यूँकि सवाल बहुत हैं , बवाल बहुत हैं , उभर आएंगे। यकीन करना मेरे किसी भी सवाल का तुम्हारे पास जवाब नहीं होगा , मेरे शिकवों और तुम्हारी मजबूरीओं का कोई हिसाब नहीं होगा , दिल की कचहरी में बेबसी की गवाही से इन्साफ नहीं होगा , और हाँ, वो रात जो कुछ सेहमी सी थी ,जिस में तू कुछ बहकी सी थी , और हाँ, मेरी भी सांस कुछ सहकी सी थी , शरेआम ना हो जाये कहीं हर पल तू डरी रहती सी थी , निकाल देना वो डर भी अपने मन से , क्यूँकि वो पल कभी भी बेनक़ाब नहीं होगा , पर फिर भी तू फुरसत के पलों में कभी मिलना ना मुझसे , क्यूँकि सवाल बहुत हैं , बवाल बहुत हैं , उभर आएंगे। यकीन करना तेरे सामने मुझसे रहा नहीं जायेगा , खुद को रोक नहीं पाऊँगा मैं , ऊँची आवाज़ में कुछ कहा नहीं जायेगा , आँखों को बहने से रोक नहीं पाऊँगा मैं , यकीन करना तुझसे भी यह सब देखा नहीं जायेगा , मेरी तरह ही खुद को रोक नहीं पायेगी तू ...
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